गीता चिंतनिका सत्र: एक अद्भुत आध्यात्मिक यात्रा
गीता परिवार द्वारा परम पूज्य स्वामी श्री गुरु गोविंद देवगिरिजी महाराज की प्रेरणा से आयोजित गीता चिंतनिका सत्र प्रत्येक एकादशी की रात्रि 9:00 बजे से 10:00 बजे तक ज़ूम के माध्यम से संपन्न होता है। इस सत्र का उद्देश्य है श्रीमद्भगवद्गीता का शुद्ध पाठ और गहन चिंतन, जिससे गीता के दिव्य ज्ञान को जन-जन तक पहुँचाया जा सके। गीता परिवार का यह प्रयास समग्र विश्व में आध्यात्मिक जागृति के दीप को प्रज्वलित करने हेतु किया गया है।
सत्र की संरचना और विशेषताएँ
गीता चिंतनिका सत्र में गीता जी के सम्पूर्ण 18 अध्यायों का पठन एवं चिंतन छह चरणों में विभाजित है। प्रत्येक एकादशी को तीन अध्यायों का पाठ और उन पर चिंतन किया जाता है। इस प्रकार, छह सत्रों के माध्यम से एक संपूर्ण पारायण (गीता का पूर्ण पाठ) संपन्न होता है।
इस सत्र की विशेषता यह है कि इसमें सेवा देने वाले सभी साधक गीताव्रती होते हैं। गीताव्रती वे साधक हैं जिन्होंने गीता जी को कंठस्थ किया है और परीक्षा के बाद यह विशेष उपाधि प्राप्त की है।
कार्यक्रम की संरचना
सत्र का आरंभ मंगलमय प्रार्थना और दीप प्रज्वलन से होता है। तत्पश्चात तीन अध्यायों का पाठ और उनका क्रमशः चिंतन किया जाता है। इन तीन अध्यायों में से एक अध्याय का चिंतन क्षेत्रीय भाषा में भी किया जाता है, जिससे विभिन्न क्षेत्रों के भक्त इस ज्ञान को अपने हृदय में समाहित कर सकें। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन गीताव्रती साधक द्वारा किया जाता है, और सत्र का समापन भगवान की दिव्य आरती के साथ होता है।
जब प्रथम पारायण (प्रथम तीन अध्यायों का पठन और चिंतन) होता है, तब गीता विशारद साधक सभी का स्वागत करते हैं। इसी प्रकार, अंतिम सत्र (अंतिम तीन अध्यायों का पठन और चिंतन) के दौरान समापन के समय दिव्य आरती की जाती है, जिसमें सभी दीप प्रज्वलन करने वाले साधकों को सम्मिलित किया जाता है।
साधकों की सहभागिता और आयोजन की व्यवस्था
इस सत्र में लगभग 1000 गीताप्रेमी भक्त जुड़ते हैं, जो इस आयोजन की लोकप्रियता और इसकी आध्यात्मिक महत्ता को दर्शाता है। वर्तमान में गीता चिंतनिका सत्र का चतुर्दश (14वां) पारायण चल रहा है। प्रत्येक सत्र में 10-11 गीताव्रती साधक अपनी सेवाएँ देते हैं। इसके अतिरिक्त, विभिन्न विभागों में कार्यरत कार्यकर्ताओं की टीम इस आयोजन को सफल बनाने में सहयोग करती है।
कार्यक्रम की संपूर्ण योजना और आयोजन का श्रेय श्रीमती कविता मानधने दीदी को जाता है। उनके कुशल मार्गदर्शन में यह सत्र अत्यंत सुव्यवस्थित और सुनियोजित ढंग से संपन्न होता है। प्रत्येक नए पारायण के आरंभ से पूर्व दीदी व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से आवश्यक संदेश प्रेषित करती हैं और 4-5 दिनों में पठन एवं चिंतन करने वाले साधकों की सूची तैयार कर ली जाती है।
दीदी समय-समय पर ज़ूम मीटिंग के माध्यम से गीता के पाठ के शुद्ध तरीके भी सिखाती हैं। उनकी प्रेरणा से सत्र के सूत्र संचालन, धन्यवाद ज्ञापन, और विभिन्न अध्यायों के चिंतन जैसे सेवा कार्यों का सौभाग्य मुझे भी प्राप्त हुआ है।
एक अनुपम आध्यात्मिक अनुभव
गीता चिंतनिका सत्र से जुड़े सभी साधक वास्तव में सौभाग्यशाली हैं। उन्हें प्रत्येक एकादशी के पावन अवसर पर गीता जी के दिव्य अध्यायों का पाठ और उनके चिंतन को श्रवण करने का दुर्लभ सौभाग्य प्राप्त होता है। यह सत्र न केवल एक आध्यात्मिक अनुष्ठान है, बल्कि एक अद्वितीय साधना है जो हृदय को प्रभु के चरणों में समर्पित करती है।
अंत में, भगवान श्रीकृष्ण से यही प्रार्थना है कि उनकी कृपा सदैव हमारे जीवन पर बनी रहे और हमें गीता के इस दिव्य ज्ञान को आत्मसात करने और जन-जन तक पहुँचाने का अवसर मिलता रहे।
