

इस महोत्सव में ऑनलाइन माध्यम से भी गीता जयन्ती का पखवाडा मनाया! यह अपने आपमें एक बहुत बड़ा कीर्तिमान है जो गीता परिवार के लर्नगीता कार्यक्रम के द्वारा खड़ा किया गया। यह अनुभव केवल आध्यात्मिक नहीं, बल्कि हृदय को आलोकित करने वाला भी था। 15 दिनों तक ऑनलाइन गीता पारायण की जो अखंड साधना हुई, वह अकल्पनीय और अतुलनीय है। इस अद्वितीय आयोजन में प्रतिदिन 1000 साधक ज़ूम पर उपस्थित रहे और कुल मिलाकर 2.5 लाख साधकों ने इस पवित्र आयोजन से पुण्य लाभ अर्जित किया।
“न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते।”
ज्ञान और साधना के इस पर्व को सफल बनाने में गीता परिवार के 603 सदस्यों का योगदान अनुपम और अद्वितीय है।
दक्षिणा दीदी, श्रुति दीदी, गोपाल भैया और विद्यानंद भैया इन पंचस्तंभों ने अपने अथक परिश्रम, ऊर्जा और समर्पण से पूरे आयोजन को सुगठित और सफल बनाया।
468 पारायणी , 5 कोर ग्रुप सदस्य, 32 एडिटिंग टीम सदस्य, 20 तकनीकी सहायक, 40 शेयरिंग टीम सदस्य, 25 सूत्र संचालक और 13 भाषानुसार संयोजक – इन सभी का समर्पण और निष्काम सेवा अनुकरणीय है।
“यतो धर्मस्ततो जयः।”
यह आयोजन केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि गीता के दिव्य संदेश को जन-जन तक पहुँचाने का महायज्ञ था। ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही प्रयासों ने यह सिद्ध कर दिया कि गीता परिवार विश्वभर में गीता के प्रचार-प्रसार का ध्वजवाहक है।
भगवान की कृपा से गीता परिवार के सभी सदस्यों की यह सेवा भावना निरंतर वृद्धिंगत हो। हम सब राष्ट्र, धर्म, संस्कृति और गीतामाता की सेवा में जीवन को समर्पित कर सकें, यही हमारी शुभकामना है।
अखण्ड एकादश(11) गीता पारायण – 1
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अखण्ड एकादश(11) गीता पारायण – 2
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अखण्ड एकादश(11) गीता पारायण – 3
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अखण्ड एकादश(11) गीता पारायण – 4