




ऑफलाइन कार्यक्रम
परमात्मा की अपार कृपा से गीता परिवार द्वारा आयोजित 5161वीं गीता जयंती महोत्सव का दिव्य उत्सव ऑनलाइन एवं ऑफलाइन अब भी हमारे मन में आनंद और प्रेरणा की लहरें जगा रहा है।
इस बार ऑफलाइन महोत्सवों में 1445 से अधिक महोत्सव का रजिस्ट्रेशन हुआ जिसमे 35 देशों से 573 शहरों में ये गीता जयन्ती कार्यक्रम संपन्न हुए! इतनी ऊर्जा के साथ हमारे सभी कार्यकर्ताओं ने इसे संपन्न किया इस हेतु सभी का अभिनंदन…यह विश्वस्तरीय गीता जयन्ती का आयोजन एवं इस प्रकार गीता परिवार के अन्य आयोजन भारतीय संस्कृति के पुनर्जागरण में अवश्य ही सहायक होगी! लखनऊ गीता परिवार के कार्यकर्ताओं द्वारा भी इस वर्ष एक नवीन प्रयोग किया गया जिसमे गीता के सभी अध्याओं को विभिन्न रागों पर गया गया और श्रीमद्भगवद्गीता के संपूर्ण 18 अध्यायों का संगीतमय पारायण हुआ। मुख्य अतिथि सहित सभी के अत्यन्त सकारात्मक प्रतिसाद हमे प्राप्त हुए हैं।
संगीतमय सस्वर पारायण का एक नया प्रयोग – गीता जयन्ती महोत्सव लखनऊ
“अद्भुतं रोमहर्षणम्” इन पंक्तियों को चरितार्थ करने वाला ही गीता जयन्ती महोत्सव लर्नगीता की उद्गमरूपी गंगोत्री लखनऊ में 11 दिसंबर 2024 को मोक्षदा एकादशी के शुभ अवसर पर सम्पन्न हुआ। जिसमें 19 नवीन धुनों में किया गया संगीतमय सम्पूर्ण गीता का पारायण सभी के लिये एक अद्भुत अलौकिक सा अनुभव था।
भगवन्नामस्मरण युक्त भव्य गीता की पोथीयात्रा निकाली गयी। वैदिक मंत्रोच्चार से दीप प्रज्ज्वलन के पश्चात् हमारे लिये ईश्वरतुल्य गीता परिवार के संस्थापक प.पू.स्वामीजी श्रीगोविन्ददेव गिरि जी महाराज से ऑनलाइन इस संगीतमय पारायण हेतु शुभकामनाएं प्राप्त कर तो सभी के मन का आनन्द ही द्विगुणित हो गया।
गीता पारायणी – गीता प्रवीण व लर्नगीता की प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर हमारी ज्योति दीदी, रूपल दीदी, कविता दीदी, गीता विचक्षण कक्षाओं की मुख्य टीम सदस्या ख्याति दीदी, लर्नगीता की मुख्य समिति सदस्या पूजा भाभी, एवं प्रशिक्षक विभाग के प्रमुख सदस्यों में से एक मनीषा दीदी समेत 1000 साधक सेवी संगीत वाद्यों के साथ गीता पाठ में झूम उठे। पूरे समय LED स्क्रीन पर गीता श्लोकों की स्लाइड भी चलती रहीं। सम्पूर्ण गीता पारायण का एक आदर्श स्वरूप हमें देखने को मिला।
इस कार्यक्रम के आधार, नवीन प्रयोग “संगीतमय गीता पारायण” के रचनाकार, हम सभी के लिये गीता के ध्वजवाहक, गीता के अनन्य प्रेमी व हम सभी कार्यकर्ताओं की ऊर्जा का स्रोत लर्नगीता के कार्यक्रम निदेशक, गीता परिवार के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष हमारे आ.आशू भैया ने तो मानो अपने वाक्पुष्पों से गीता जी की अर्चना की हो। गीताभक्तिपूर्ण गीता सन्देश से सभी को अधिक से अधिक गीता पढ़ने, पढ़ाने की प्रेरणा मिली।
वैदिक गुरुकुलों से पधारे सभी बटुक, आचार्य, प्राचार्य, महंत, पुजारी एवं सभी सनातन रक्षकों को तिलककर, पटका पहनाकर, दक्षिणा देकर एवं पधारे सभी गीताव्रतियों, गीता विचक्षणों को भी सम्मानित किया गया।
“संवादमिममश्रौषमद्भुतं रोमहर्षणम्।।” – गीता का यह अद्भुत संवाद अनगिनत हृदयों में अपनी छाप छोड़ गया। जिन्होंने भी यह पारायण सुना उनके हृदय में अभी तक उन्हीं मंत्रों के स्वर गूंज रहे हैं। एकबार अवश्य सुनकर इस अलौकिक चिरस्थायी अनुभव का लाभ लें!