षण्मासिक शुभारम्भ समारोह (जुलाई 24 से दिसंबर 24 तक)

शुभारम्भ की पावन वेला
“शुभ” शब्द मात्र से ही मन आनंदित हो उठता है। इसका तात्पर्य है—कल्याणकारी, मंगलमय, हितकर और भाग्यशाली। किसी कार्य का आरम्भ शुभ हो, तो वह आधा कार्य पूर्ण होने के समान माना जाता है। जैसा कि कहा गया है:
“Well begun is half done.”
गीता परिवार में हर आरम्भ पारंपरिक पद्धति से, श्रद्धा और आत्मीयता से ओत-प्रोत होता है। गीता परिवार का नाम ही अपने आप में एक गहन आत्मीयता का प्रतीक है। भारत की कुटुंब व्यवस्था, जो पूरे विश्व के लिए जिज्ञासा और आकर्षण का विषय है, उसी भावना को गीता परिवार साकार करता है। परिवार का नाम लेते ही एक शांतिपूर्ण अनुभूति मन में जागृत होती है। जैसे सांझ बेला में थके-हारे पक्षी अपने घोंसलों में लौटते हैं, वैसे ही गीता परिवार के साधक वर्ग समयानुसार अपनी साधना और सेवा के इस परिवार में लौट आते हैं।
आरम्भ की विधि
प्रत्येक शुभारम्भ समारोह का शुभारम्भ गीता परिवार की परंपरा अनुसार ईशस्तवन से होता है। इसके पश्चात्, नवजीवन प्रदान करने वाले हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ वातावरण को ऊर्जा और उल्लास से भर देता है। अज्ञान के अंधकार को दूर करने और ज्ञान का प्रकाश फैलाने के लिए दीप प्रज्वलन की दिव्य परंपरा का निर्वहन होता है।
विशिष्ट सत्र और आशीर्वचन
सभी साधकों का स्वागत करते हुए आदरणीय आशू भैया अपने प्रेरणादायी उद्बोधन से सभी का मन मोह लेते हैं। प्रथम स्तर के साधक, श्रद्धेय स्वामी गोविन्ददेव गिरिजी महाराज के अमूल्य आशीर्वचनों से अभिषिक्त होते हैं। स्वामीजी के विचार और मार्गदर्शन साधकों के हृदय में ज्ञान, भक्ति और कर्मयोग की भावना को जागृत करते हैं।
समारोह में समय-समय पर विभिन्न संतों का सत्संग प्राप्त होता है। इसके साथ ही, गीता के महात्म्य को दर्शाने वाली नृत्य-नाटिकाओं का प्रदर्शन समारोह को अद्भुत और स्मरणीय बना देता है।
प्रेरक वक्तव्य
समारोह में आदरणीय संजय भैया मालपाणी और आशू भैया गोयल के प्रेरक शब्द साधकों के लिए अत्यंत प्रभावशाली रहते हैं। आदरणीय आशू भैया कहते हैं:
“मानव जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य प्राप्त करने और गीता के सिद्धांतों को अपने जीवन में उतारने के लिए आप सभी को गीता परिवार ने चुना है। यह केवल एक संयोग नहीं, बल्कि गीता माता की कृपा है।”
आ. आशू भैया गीता के कर्म सिद्धांत को सरल और प्रभावी शब्दों में समझाते हुए कहते हैं कि मनुष्य योनि कर्म योनि है। यदि हम अपने कर्म को फल की आसक्ति से जोड़ने के बजाय कर्तव्य से जोड़ें, तो मानव जीवन सार्थक हो सकता है।
प्रात्यक्षिक और अनुभव साझा करना
शुभारम्भ समारोह का सबसे आकर्षक भाग गीताव्रती साधकों द्वारा गीता के श्लोकों का प्रात्यक्षिक प्रदर्शन है। ये प्रदर्शन न केवल प्रेरणादायक हैं, बल्कि नवागत साधकों के लिए एक दिशा-सूचक भी हैं। साधकों द्वारा साझा किए गए अनुभव अत्यंत भावनात्मक और प्रेरणादायक हैं। उनके शब्दों से यह स्पष्ट होता है कि गीता का अध्ययन न केवल मानसिक शांति प्रदान करता है, बल्कि शारीरिक व्याधियों से भी मुक्ति दिलाने में सहायक होता है।
समापन की पावन बेला
समारोह का समापन आभार प्रदर्शन और प्रार्थना के साथ होता है। हनुमान चालीसा का पाठ साधकों के मन को तृप्ति और संतोष प्रदान करता है। यह शुभारम्भ समारोह केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि गीता के दिव्य संदेश को जन-जन तक पहुंचाने का एक महायज्ञ है।
गीता परिवार की मंगलकामना
गीता परिवार के इस प्रयास को भारतीय संस्कृति के पुनर्जागरण का वाहक मानते हुए हम सभी साधकों की सेवा भावना और समर्पण को नमन करते हैं। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि यह परिवार इसी प्रकार धर्म, संस्कृति और मानवता की सेवा में आगे बढ़ता रहे।
“विभिन्न बैचों के आंकड़ें”
| बैच | कुल समूह | कुल प्रशिक्षक | कुल तकनीकी सहायक | कुल समूह संचालक | कुल फॉर्वर्डिंग सेवी | कुल एलोकेशन एवं ट्रेनिंग सेवी |
| जुलाई-24 स्तर – 2 | 344 | 333 | 331 | 134 | 50 | |
| मार्च-24 स्तर – 3 | 282 | 277 | 278 | 104 | 50 | |
| जून-24 स्तर – 2 | 342 | 326 | 328 | 135 | 8 | 50 |
| सितम्बर-24 स्तर – 4 | 172 | 98 | 79 | 32 | 50 | |
| अप्रैल-24 स्तर – 3 | 231 | 110 | 110 | 51 | 50 | |
| नंबर-24 स्तर – 4 | 129 | 64 | 63 | 25 | 50 | |
| जन-24 स्तर – 4 | 114 | 80 | 66 | 23 | 50 | |
| सितम्बर-24 स्तर 2 | 361 | 346 | 352 | 128 | 9 | 50 |
| नवंबर-24 स्तर 1 | 409 | 404 | 403 | 280 | 14 | 50 |